Saturday, 29 October 2016

दिवाली का त्यौहार बहुजन समाज को
क्यों नहीं मानना चाहिए...?
दिवाली का त्यौहार आ रहा है और भारत के हर घर में दिवाली बनाने की तैयारियां शुरू हो चुकी है। लेकिन क्या मूलनिवासियों SC/ST/OBC/MINORITY को यह पता है कि यह त्यौहार क्यों मनाया जाता है....???
अगर पूछेगे की क्यों मनाया जाता है...??? तो कुछ भाई बोलेगे की राम के आने की खुशी में।
जबकि राम की तो चैत मास के शुक्ल पक्ष में घर वापसी हुई थी फिर कार्तिक मास में दीवाली क्यों मनाई....???

चलो मान लिया दीवाली मनाई तो फिर ये लक्ष्मी पूजा का फंडा क्यों.....???
अगर लक्ष्मी पूजा करने से धन का आगमान होता या सुख शांति मिलती।
तो भारत देश को विदेशों से अरबों का उधार लेने की जरुरत नहीं पड़ती।
दुनिया का सबसे आमिर आदमी बिल गेट्स है
उसने तो कभी भी लक्ष्मी की पूजा नहीं की........
क्या विश्व जगत के बिलिन्नेयार्स को लक्ष्मी नाम की देवता का पता नहीं....???
लेकिन लक्ष्मी देवी को मानने वाले और सालों से पूजा करने वाले भारत की गरीबी विश्व के कुछ देशों से भी बदतर है......
कड़वा सच है ये आप माने या ना माने 
धन की देवी लक्ष्मी की पूजा सिर्फ हमारे देश मे की जाती है, फिर भी देश की 75% जनता गरीबी और भुखमरी से लड़ रही है।
अन्न उत्पादन करने कि देवी अन्नपुर्णा की पूजा भी सिर्फ हमारे देश मेँ होती है।।
फिर भी हमारे देश के हजारोँ गरीब किसान हर साल अत्महत्या कर लेते है।
बारीश के देवता इन्द्र की पूजा भी सिर्फ हमारे ही देश में होती है फिर भी कभी सुखा तो कभी बाढ़ आ जाती है।
औरत को हमारे यहाँ देवी का दर्जा दिया जाता है फिर भी दहेज के लिए हर साल हजारों औरतों को जिन्दा जला दिया जाता है। 
अतिथि देवो भवः अतिथि को भगवान माना जाता है।
फिर भी अक्सर विदेश से आए अतिथियों की हत्या या बलात्कार होना हमारे यहाँ आम बात है।
#अप्प_दीपो_भव: अब तो मूर्खता का दामन छोड़ो....
कोई भी देश या उस देश का व्यक्ति आमिर या गरीब, 
किसी भगवान् की पूजा करने से नहीं होता बल्कि उस देश की अर्थ नीति और सबको समान शिक्षा प्रणाली उब्लब्ध करने की नीति से होता है...
#दीपक_अगर_जलता_है_वो_जलकर_सुहाना_उजियारा_देता_है....
#जबकि_बारूद_धमाके_के_साथ_हवा_को_भी_विषैली_कर_देता_है....
भारत में फैला मनुवाद भी किसी बारूद से कम नहीं है जो देश में पाखंड का आतंक फैलाये हुए है।
जीवन से धार्मिक अंधकार मिटाने के लिए...
शिक्षा का अधिकार खासकर महिलाओं को प्रदान करवाया
बाबासाहब की विचारधारा का दीपक एक तुम जलाओ और एक मैं...
इतिहास गवाह है हर ब्राह्मण पाखंडी नहीं होता...
लेकिन हर पाखंडी ब्राह्मण जरूर होता है...
जो अंधविश्वास के दम पर भारत में सत्ता की दुकान जमाए हुए है।
हमें अपनी विचारधारा के दीपक से अपनी कौम में फैले अंधियारे को दूर करना है।
जय भीम.....जय भारत.....जय संविधान.....


रजनीश कुमार अम्बेडकर
पीएच.डी., शोध छात्र, स्त्री अध्ययन विभाग
महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा-442001 (महाराष्ट्र)
मो.09423518660/08421966265


Thursday, 20 October 2016


सच्चा करवा चौथ
किसी माता बहिन के व्रत रहने,
 भूखे मरने, ढोंग पाखंड करने, देवी-देवताओं की पूजा पाठ करने इत्यादि से अपने पति की उम्र नहीं बढ़ेगी।
यदि वास्तव में आपको अपने पति की उम्र बढ़ाना है उन्हें दीर्घायु बनाना है
 
तो निम्न काम कीजिए-
#अपने पति का बीड़ी पीना छुड़वाईए
ताकि धूम्रपान से फेफड़े खराब न हो।
#जर्दा तम्बाकू खाना बंद करवाईए
ताकि केंसरर इत्यादि से बचा जा सके।
#शराब पीना या अन्य किसी भी प्रकार का नशा बंद करवाईए
ताकि पाप
, अनाचार, दुर्घटनाओं आदि से बच सकें।
#बस इतना कीजिए, समझो आपका #करवा_चौथ का व्रत पूर्ण हुआ
बाकि सब ढोंग है
, पाखंड है,
महिलाओं को मानसिक गुलाम बनाने का ब्राह्मणवादी षड्यंत्र है।
सामाजिक परिवर्तन की आवाज़ को बुलंद करना होगा... अभी नहीं तो कभी नहीं...
 
जय भीम.... हूल जोहार....

रजनीश कुमार अम्बेडकर
पीएच.डी., शोध छात्र, स्त्री अध्ययन विभाग  
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा-442001 (महाराष्ट्र)
मो.09423518660/08421966265

Monday, 4 April 2016


आओ एक नए समाज का निर्माण करें


मेरा अनुरोध उन पढ़े-लिखे छात्र-छात्राओं और शोधार्थियों से है जो एक बेहतर समाज बनाना चाहते है...। जिस समाज में जाति, धर्म, लिंग, रूप, रंग, गरीबी-अमीरी के आधार पर किसी के साथ भेदभाग न हो सकें। स्त्री-पुरूष दोनों को समान हक और अधिकार, प्रतिनिधित्व और सहभागिता मिल सकें। मेरा मकसद किसी त्योहार की बुराई या विरोध करना नहीं है, मेरा मकसद है सच्चाई को अंत-अंत तक सिर्फ सच्चाई को बताना है। 

होलिका भली थी या बुरी यह तो मैं नहीं जानता। पर पढ़ लिखकर इतना जरूर समझा कि होली किसी स्त्री को जिन्दा जलाकर जश्न मनाने की सांकेतिक पुनरावृत्ति है। मैंने विभिन्न प्रसंगों में यह सुना कि जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है, फिर होलिका के साथ प्रहलाद आग में न जले ऐसा सम्भव नहीं। अभी तक मेरे मन में उठे इस प्रश्न का जवाब मैं नहीं पाया कि रात्रिकाल में क्यों किसी स्त्री को जलाया गया….? अभी तक रात्रि में शवदाह की परम्परा हमारी संस्कृति में नहीं है। होलिका का दोष क्या था…..? होलिका को किसने जलाया….? क्या होलिका को जलाने समय उसके परिजन वहाँ मौजूद थे…..? पहले मैं इस बारे में सोचा भी नहीं था। परंतु शिक्षा एक ऐसी रसायन है जो मन में तर्क करने की क्षमता का विकास कर देती है। अब मैं उस त्योहार के लिए आप सबको कैसे बधाई एवं शुभकामनाएँ दूँ। जिस त्योहार में किसी स्त्री को जलाया गया हो। जो होलिका दहन करता है क्या वह स्वयं अपने अंदर की बुराई को जला पाया है….? यदि नहीं तो उसे किसी दूसरे बुरे आदमी को जलाने का अधिकार किसने दिया…..? माफ कीजिएगा मित्रों मैं इस स्त्री विरोधी त्योहार में आपको बधाई नहीं दे पाऊँगा। मेरे विचार से आप भी सहमत हों, मैं ऐसा नहीं मानता।
धर्म के आगे क्या हमारी पढ़ाई-लिखाई, वैज्ञानिक सोच, तार्किकता के आधार पर सवाल नहीं कर सकते हैं....? बिल्कुल कर सकते हैं दोस्तों आज सवाल खड़े करने होगें। जिस प्रकार से वाक् ने पुरूषों की बलि का सबसे पहले विरोध किया। उसके बाद पशुओं की बलि दी जाने लगी। (बलि की प्रथा कुटदंत सुत्त में मिलती है।) उसी प्रकार से सबसे पहले वर्ण-व्यवस्था और जातिवाद, किसी भी प्रकार की बलि का प्रखर विरोध तथागत गौतम बुद्ध ने किया। इसी प्रकार से कबीर, रैदास, पेरियार ई.वी.रामास्वामी, ज्योतिबराव फूले, शाहूजी महाराज, सावित्रीबाई फूले, बिरसा मुंडा, झलकारी बाई, रानी दुर्गावती, भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, डॉ. अम्बेडकर, कांशीराम आदि ने सवालों को खड़ा किया। और समाज को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नई-दिशा देने का काम किया है। इसलिए एक बार आप सभी लोग इस पर विचार अवश्य करें....। आइए...
हम सभी मिलकर एक स्वस्थ समाज का निर्माण करें...।  
जय भीम.....!   जय भारत.....!!      सेवा जोहार.....!!!
रजनीश कुमार अम्बेडकर
पी.एच-डी., शोध छात्र, स्त्री अध्ययन विभाग  
महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा-442001 (महाराष्ट्र)
मो.09423518660/08421966265
Email: rajneesh228@gmail.com