Saturday, 30 May 2015

आरक्षण (प्रतिनिधित्त्व) क्यों नहीं मिलना चाहिए…….????

आज जहां से देश में बौद्धिक वर्ग का निर्माण होता है....वहां पर क्या जातिवाद नहीं है......???
इसलिए इस रिपोर्ट को जरूर पढ़ें....!
आइये देखते है देश के कुल केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुल प्रोफेसरों के पद-10086 हैं। जिसमें OBC- 642 (पुरूष- 500, महिला-142), SC- 695 (पुरूष- 531, महिला-164), ST- 502 (पुरूष- 317, महिला-185), PWD- 72 (पुरूष- 59, महिला-13), MUSLIM- 1420 (पुरूष- 1074, महिला-346) और OTHER MINIORITY COMMUNITIES- 150 (पुरूष- 93, महिला-57) हैं जो कुल मिलाकर 3481 पदों पर हैं। जिसमें GEN.- 6605 पदों पर हैं। अत: अंतर साफ नजर आता होगा कौन किसके पदों पर कब्जा बनाए हुए है....???

इसी प्रकार से देश के कुल राज्य विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों के पद- 38578 हैं। जिसमें OBC- 6067 (पुरूष- 4585, महिला-1482), SC- 3567 (पुरूष- 2606, महिला-961), ST- 648 (पुरूष- 472, महिला-176), PWD-134 (पुरूष- 100, महिला-34), MUSLIM- 998 (पुरूष- 780, महिला-218), और OTHER MINIORITY COMMUNITIES- 636 (पुरूष- 370, महिला-266) हैं। जो कुल मिलाकर 12050 पदों पर हैं। जिसमें GEN.- 26528 पदों पर हैं। इसमें भी आप लोगों को अंतर साफ नजर आता होगा कौन किसके पदों पर कब्जा बनाए हुए है...???
(स्रोत- UGC REPORT RTI : 2011-12)
अब सवाल उठता है जो लोग आरक्षण का विरोध करते हैं ।
वो किस तरह का समाज बनाना चाहते है....?????
क्या इस तरह का समाज जिसमें गैरबराबरी-व्यवस्था को बनाए रखें....?????
या फिर गैरबराबरी वाली व्यवस्था को बदलकर मानवतावादी व्यवस्था बनाने वाली विचारधारा जिसमें संपूर्ण मानव का निर्माण समता-स्वतंत्रता-बंधुत्व एवं न्याय के आधार पर किया जा सकें। ऐसी सामाजिक-व्यवस्था बनाने के लिए हमें अम्बेडकरी विचारधारा की आवश्कता होगी। इसको हम अम्बेडकरवाद कह सकते है। ऐसी व्यवस्था में सबको विकास, समान प्रतिनिधित्व एवं सहभागिता का अधिकार मिलता है।
अम्बेडकरवाद किसी भी धर्म, जाति या रंगभेद को नहीं मानता, अम्बेडकरवाद मानव को मानव से जोड़ने या मानव को मानव बनाने का नाम है। अम्बेडकरवाद वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर मानव के उत्थान के लिए किए जा रहे आन्दोलन या प्रयासों के नाम हैं।
अम्बेडकरवाद “भारत के संविधान” को भी कहा जा सकता है।
एक अम्बेडकरवादी होना तभी सार्थक है, जब मानव वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपना कर समाज और मानवहित में कार्य किया जाए।
अब तय आप लोग करें......
गैरबराबरी वाला समाज चाहिए या समतामूलक समाज......
जरूर बताए .....!
फिर जी खोलकर आरक्षण का विरोध करें....

मैं आपके साथ में कधें-से कंधा मिलाकर चलूंगा.......!


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