महिलाओं
के सम्मान में 8 मार्च
है मैदान में
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देश
में आए दिन कहीं न कहीं किसी लड़की या महिला को रोज जलाया जा रहा है।
पर हमसे
क्या...??
बुराई
पर अच्छाई के नाम पर प्रतिवर्ष तमाम सारे लोगों को जलाया जाता है जिसमें #बहन_होलिका भी हैं। पहले मैं भी इस आयोजन में शामिल होता
था। लेकिन जब उच्च शिक्षा में आया और जलाए जाने वालों के बारे में पढ़ा-लिखा तब
हक्कीत पता चली। इसलिए मेरा एक अनुरोध है तमाम उन युवाओं से जो सामाजिक न्याय और
सामाजिक परिवर्तन के पक्ष में बात करते है कृपया #होली के बारे में सही जानकारी जरूर लें। और समाज
में फैली इस तरह की अमानवीय कुप्रथाओं को समाप्त करवाने में अपना सहयोग करें।
अभी
8 मार्च
को खूब महिला अधिकारों की बात की जायेगी, जिसमें ये मुद्दा
गायब ही रहता है वरना हजारों सालों से ये प्रतीक के रूप आज नहीं मनाया जाता।
मेरा
विरोध किसी त्यौहार या ख़ुशी को सेलिब्रेट करने से नहीं है। मेरे अनुसार इसकी आड़
में अन्धविश्वास, धार्मिक
पाखंडता, आडंबर और कुप्रथाओं को फैलाना बिलकुल गलत है।
वरना
पढ़ाई-लिखाई करना किस काम की।
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जागो और जगाओं
जनहित में जारी...
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रजनीश
कुमार अम्बेडकर
पीएचडी, रिसर्च स्कॉलर, स्त्री अध्ययन विभाग,
म.गां.अं.हिं.वि., वर्धा (महाराष्ट्र)